अगर इस दीवाली करना है कुछ नया ,तो पड़े इस पोस्ट को

हम आप को बताने जा रहे है की ये दीवाली हमारे लिए बहुत खास है क्युकी covid-19 की बजह से प्रभाबित जिंदगी के बाद ये पहली दीवाली है इस दीवाली को हमें लोगो की मदद करते हुए मानना है पूजा का समय  4 नवंबर 2021, गुरुवार, शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात्रि 08 बजकर 20 मिनट
अवधि: 1 घंटे 55 मिनट
प्रदोष काल: 17:34:09 से 20:10:27 तक
वृषभ काल: 18:10:29 से 20:06:20 तक|

1. लोगो की जरूरत जाने – इस दीवाली बहुत से ऐसे लोग होंगे जो अभी lockdown से उभर कर बहार नहीं आये व्यापारियों द्वारा काम पर नहीं बुलाये गए है तो अपने आसपास ऐसे लोगो से मिले और उन की छोटी मोती जरूरतों को जाने और उन की हो सके जीतनी मदद करे , जरुरी नहीं की उन को पैसे की मदद की जरूरत हो आप उन को बस प्यार से भरोसा दिलाये की आप की हर समय मदद के लिए हम खड़े है आप तो बस अपने त्यौहार को पहले की तरह मनाये कोई भी जरूरत हो तो हम आप के साथ खड़े है|

2. मिल कर मनाये दीवाली – मेरा मानना है की अगर हम मिल कर दीवाली मनाये तो इस के बहुत सरे फायदे है जैसे अगर हम दीवाली को मिल कर मनाएंगे तो ऐसे लोग भी दीवाली मना सकते है जिन के पास आज के समय में दीवाली मानाने के लिए पैसे की कमी है इस में हमारा तो पैसा उतना ही लगेगा पर उन लोगो की दीवाली हमारे दीवाली जैसी मन जाएगी और उन का भी मनोवल बढ़ेगा|

3. खुद की सुरक्षा का ध्यान रखे – वैसे तो हम हर दीवाली ही अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते थे पर इस वर्ष हमें दो बातो का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा पहले तो फाटकों से हर साल तहर और दूसरा मास्क और २ गज दुरी क्युकी अभी कोरोना अभी गया नहीं है |

4. पूजा के टाइम का ध्यान रखे – लक्ष्मी जी की पूजा का टाइम ध्यान रखे क्युकी किसी काम में अगर आप समय का ध्यान रख कर चलते है तो काम का हमारी जिंदगी में बहुत महत्त होता है इस लिए पूजा के समय का ध्यान रखे , कुछ ज्योत्षी के हिसाब से लक्ष्मी पूजन का समय है 4 नवंबर 2021, गुरुवार, शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात्रि 08 बजकर 20 मिनट
अवधि: 1 घंटे 55 मिनट
प्रदोष काल: 17:34:09 से 20:10:27 तक
वृषभ काल: 18:10:29 से 20:06:20 तक

5. गोवर्घन पूजा को बनाये बहुत खास – हमारे यहाँ दीवाली पूजा के बाद दूसरे दिन गोवर्धन पूजा भी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है इस बार इसे और खास बनाने की जरूरत है इस त्यौहार को भी मिल कर मनाये पर दुरी और मास्क का रखे ध्यान |

6. भाई दोज पर दे बहनो को सुरक्षा का भरोसा – ये त्यौहार भी बहुत खास रहता है इस में रखे हर बहन का ध्यान जीतनी सहायत हम से बने उतनी हर बहन की करने की कोसिस करे |

7. मिठाई ज्यादा से ज्यादा घर पर बनाये –इस बार दीवाली ध्यान रखे की मिठाई अपने घर बनाये इस फायदे होंगे एक तो मिठाई सुद्ध होगी और हमें कोरोना काल में सुरक्षा मिलेगी , साथ की अपनी घर मिठाई की फोटो एक दूसरे साथ साजा करे जिस अपनी कला का प्रदशन करे|

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खामोश बेटी की आवाज

बेटी बनकर आई है। मां बाप के आंगन में कल बसेरा होगा किसके आंगन में आखिर क्यूं? ये रीत भगवान ने बनाई है, कहते हैं आज नहीं तो कल तू पराई होगी। देके जन्म पल पोसकर जिसने हमें बड़ा किया।वक्त आने पर उन्ही हाथो ने हमें विदा किया। बिखर कर रह जाती है हमारी जिंदगी। फिर उस बंधन में हमें प्यार मिले ये जरुरी तो नहीं। क्यूं हमारा रिश्ता इतना अजीव होता है। क्या यही हम बेटियों का नसीब होता है।घर जहां बेटियों का जन्म होता है। दुनियां में आते ही मानो सबके चेहरे मुरझा से गए हों। उसी भेदभाव के साथ की लड़की है,एक दिन बड़े होकर किसी का घर संभालना है,और इसी सोच के साथ उसे शिक्षा से भी दूर रखा जाता है। किताबों के बदले उसे घर के कामों का बोझ सौप दिया जाता हैं। उसके सारे अरमान जो एक उज्जवल भविष्य बनाने के होते हैं।वही अरमान उसी आग में दफन हो जाते हैं। क्या बेटियों को इतना भी हक नहीं दिया गया।की वो अपने परिवार के लिए और उनके साथ आत्म निर्भर बने और बेटा बनकर अपने परिवार को सहयोग करे। जिस परिवार में बेटे नहीं होते उस परिवार में बेटी हो तो कोन सहारा बनेगा उसके मां बाप का। तब वही बेटी या बहू बनकर अपना परिवार संभालती है।चाहें वो मेहनत या मजदूरी करे या कुछ भी अपना फर्ज निभाती है। तो फिर क्यूं ना उसे पड़ा लिखा कर काबिल बनाए आज भी कुछ लोग हैं।जो बेटियों को बोझ समझते हैं।आज भी अधिकांश लोग बेटो को ही सारे हक देते हैं।चाहे वो अपनी जिम्मेदारी समझे या ना समझे या मां बाप के पैसों का गलत उपयोग करें।पर उनकी हर गलतियों को माफ किया जाता हैं। बेटी कभी अपने मां बाप को टूटता नहीं देख सकती वो अपनी सारी खुशियों को मिटा कर अपने परिवार का ध्यान रखती हैं।अपनी जिम्मेदारियों को समझती है,और निभाती भी है,वो दो परिवारों को समेट कर चलती है।अपनी तकलीफ कभी किसी को महसूस तक नहीं होने देती हैं। ऐसी होती हैं,