जिंदगी
जिंदगीहै,तो बस एक बहता हुआ समंदर,
कहींगहरा,तो कहीं समतल।
डूबजातेहैं,लोग इसकी गहराई में,
और फंस जाते हैं,बीच मझधार में।
जिंदगी है, तो बस एक बहता हुआ समंदर,
कहीं गहरा,तो कहीं समतल।
उम्मीदों के साये में यहां,मिलते झूठे साहिल,
साहिलो को भी ठुकरा देती,ये सागर की लहरें।जब चली वक्त की आंधी, तोथामाउसबरीशने
जिसने तोड़े ख्वाहिशों के वो, आशियाने।
जिंदगी है,तो बस एक बहता हुआ समंदर,
कहीं गहरा तो कहीं समतल।
सागर,साहिल, लहरें, बारिश है, चारों में,
कितना अन्तर।
ख्वाहिशों की कस्ती का न,
मिला कहीं पर साहिल।
साहिलों से टकराती है,
खामोश बनी ये लहरें।
फिर भी उमंग लिए ये, चलती,
संगम से है,मिलना।
मिले बीच मझधार में न,
जाने कितने पत्थर ।
भरा जोश मंजिल तक है,जाना,
ये है, हमने लहरों से सीखा।
जिदंगी है,तो बस एक बहता हुआ समंदर,
कहीं गहरा,तो कहीं समतल।
अगर संभल कर है, निकलना,
तो सहीलों को है, परखना।
क्या पता वक्त कब करबट बदले,
लहरों की तरह है,चलना।
जिंदगी है,तो बस एक बहता हुआ समंदर,
कहीं गहरा, तो कहीं समतल।