जीवन
हमको जीवन ने सिखाया , गिरना और संभालना,
यही आईना है जीवन का, इससे क्या है डरना।
मौसम बदलें, बदलें हवाएं ,या छाए अंधियारे ,
रात हमेशा तक न रहेगी, फिर आएंगे उजियारे।
आश का दीप न बुझने देना, बेशक अंगारों पर चलना,
हमको जीवन ने सिखाया ,गिरना और संभालना,
यही आईना है जीवन का , इससे क्या है डरना।
पतझड़ भी आते जीवन में, इसके बाद खिलते हैं फूल।
जो पल निकल गए जीवन के, वो वापस नहीं आते
बैठ के सागर के सीने पर ,कुछ लोग हैं गुनगुनाते।
वो अपने जीवन की दास्तां, सहिलों से हैं बयां करते,
दुनियां की बंदिशों से ,हमको है दूर निकलना।
हमको जीवन ने सिखाया ,गिरना और संभालना,
यही आईना है जीवन का, इससे क्या हैडरना।
जब अपनो सेही चोट लगी हो, वो दर्द सहा नहीं जाता,
दिल दुख जाता है अपनो से ही, तो जीने से मन घबराता।
खंजर तो निकल गया दिल से, वो दर्द न जीते निकलेगा,
आशा का सूरज डूब गया, उम्मीदें जिगर संभालेंगी।
हमको जीवन ने सिखाया ,गिरना और संभालना ,
यही आईना है, जीवन का इससे क्या है डरना ।
दिल में नफरत की आग उठे, समां परबाने जल गए,
नासूर बने सब रिश्ते नाते, आंखों से खून टपकता है ।
हर सांस घृणा से बोझिल है, पत्थर दिल चलता फिरता,
चाहत बनी बला है,जो जिंदा लाश बनाया है।
हमको जीवन ने सिखाया, गिरना और संभालना,
यही आईना है जीवन का, इससे क्या है डरना ।