डिजिटल मार्केटिंग करा कर अपने business को बढ़ाये

दोस्तों आज में आप को बताने जा रहा हु की आप अपने business की डिजिटल मार्केटिंग करा कर business को अधिक से अधिक बड़ा सकते है |

आप अपने business का कही न कही किसी न किसी प्रकार से मार्कटिंग तो करते ही होंगे चाहे बो डोर टू डोर हो या किसी होडिंग या बनेर लगा कर हो या कोई और साधन जैसे न्यूज़ पेपर पम्पलेट बटवाकर , दोस्तों ये सब काम करने के लिए आप की मेहनत भी ज्यादा होगी और पैसा भी ज्यादा खर्च होगा ,इस लिए आज हम आप को बताने जा रहे है की डिजिटल मार्किटंग से आप कैसे लाभ ले सकते है|

डिजिटल मार्केटिंग का फायदा

डिजटल मार्केटिंग का सब से बड़ा फायदा ये है की आप ऐसे आराम से अपने घर से ही और खुद भी कर सकते है या किसी डिजिटल मार्केटिंग कंपनी से भी करा सकते है इसे हम कई प्रकार से कर सकते है|

      • अपने business की अच्छी से वेबसाइट तैयार करना।

     

      • वेबसाइट को गूगल पर लिस्ट करना और उस का SEO करना।

     

      • फेसबुक, ट्विटर , इंस्टाग्राम , व्हाट्सप्प , इत्यादि |

     

      • ऐड कम्पैन , सोशल मीडिया मार्केटिंग |

     

      • ईमेल मार्केटिंग |

     

      • लाइक, फॉलोवर बढ़ाना |

     

      • मोबाइल मार्केटिंग|

     

      • विडिओ और ग्राफिक्स मार्केटिंग |

     

      • गूगल ऐड|

     

      • फेसबुक ऐड|

    डिजिटल मार्केटिंग के लिए आप कंपनी से भी संपर्क कर सकते है|

     

Apane vyapar ko le kar agala kya kadam uthaye

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खामोश बेटी की आवाज

बेटी बनकर आई है। मां बाप के आंगन में कल बसेरा होगा किसके आंगन में आखिर क्यूं? ये रीत भगवान ने बनाई है, कहते हैं आज नहीं तो कल तू पराई होगी। देके जन्म पल पोसकर जिसने हमें बड़ा किया।वक्त आने पर उन्ही हाथो ने हमें विदा किया। बिखर कर रह जाती है हमारी जिंदगी। फिर उस बंधन में हमें प्यार मिले ये जरुरी तो नहीं। क्यूं हमारा रिश्ता इतना अजीव होता है। क्या यही हम बेटियों का नसीब होता है।घर जहां बेटियों का जन्म होता है। दुनियां में आते ही मानो सबके चेहरे मुरझा से गए हों। उसी भेदभाव के साथ की लड़की है,एक दिन बड़े होकर किसी का घर संभालना है,और इसी सोच के साथ उसे शिक्षा से भी दूर रखा जाता है। किताबों के बदले उसे घर के कामों का बोझ सौप दिया जाता हैं। उसके सारे अरमान जो एक उज्जवल भविष्य बनाने के होते हैं।वही अरमान उसी आग में दफन हो जाते हैं। क्या बेटियों को इतना भी हक नहीं दिया गया।की वो अपने परिवार के लिए और उनके साथ आत्म निर्भर बने और बेटा बनकर अपने परिवार को सहयोग करे। जिस परिवार में बेटे नहीं होते उस परिवार में बेटी हो तो कोन सहारा बनेगा उसके मां बाप का। तब वही बेटी या बहू बनकर अपना परिवार संभालती है।चाहें वो मेहनत या मजदूरी करे या कुछ भी अपना फर्ज निभाती है। तो फिर क्यूं ना उसे पड़ा लिखा कर काबिल बनाए आज भी कुछ लोग हैं।जो बेटियों को बोझ समझते हैं।आज भी अधिकांश लोग बेटो को ही सारे हक देते हैं।चाहे वो अपनी जिम्मेदारी समझे या ना समझे या मां बाप के पैसों का गलत उपयोग करें।पर उनकी हर गलतियों को माफ किया जाता हैं। बेटी कभी अपने मां बाप को टूटता नहीं देख सकती वो अपनी सारी खुशियों को मिटा कर अपने परिवार का ध्यान रखती हैं।अपनी जिम्मेदारियों को समझती है,और निभाती भी है,वो दो परिवारों को समेट कर चलती है।अपनी तकलीफ कभी किसी को महसूस तक नहीं होने देती हैं। ऐसी होती हैं,