ऑनलाइन प्रोडक्ट बेचने के लिए प्लेटफ्रॉम कैसे तैयार करे.

किसी भी प्रोडक्ट को ऑनलाइन सेल करने के लिए हमें एक ऐसे प्लेटफ्रॉम की जरूरत होती है वो प्लेटफ्रॉम कैसे तैयार करे बो हम इस ब्लॉग में आप को आगे बताने बाले है, बैसे तो हम अपने प्रोडक्ट को आज कल व्हाट्सप्प , फेसबुक और भी सोशल प्लेटफ्रॉम पर भी सेल कर सकते है पर आज कल अगर हम अपना खुद का एक ऑनलाइन स्टोर ओपन कर ले तो बो हमें प्रोडक्ट सेल के साथ साथ इ-स्टोर से ही इनकम कर सकते है बैसे तो आज-कल बहुत सरे ऑनलाइन स्टोर है जिन पर हम अपने प्रोडक्ट की लिस्टिंग कर के भी सेल कर सकते है पर इस में कुछ पैसा बीच में जिनका का इ-स्टोर है उन्हें भी देना पड़ता है इस लिए खुद का इ-स्टोर बनाना ही सही है जो हमें और भी इनकम के तरीके देता है

अब हम जानते की अपना इ-स्टोर कैसे बनायें

वेबसाइट

1.सब से पहले हमारे पास एक नाम होना चाहिए जिस से उसी नाम से हम एक डोमेन नेम रजिस्टर्ड करा सके जैसे .कॉम, .इन इत्यादि इसे हम किसी डोमेन सेल कंपनी से खरीद सकते है

2.इस के बाद हमें इस डोमेन को होस्ट करने के लिए एक जगह की जरुरत होती है उसे हम वेब होस्टिंग कहते है ये होस्टिंग भी हम किसी वेब होस्टिंग कंपनी से खरीद सकते है होस्टिंग खरीदते समय हमें ये देखना पड़ता है की जिस से हम होस्टिंग ले रहे है बो कंपनी पुरानी हो उस के ग्राहक संतुस्टी कितनी है

3.ये सब होने के बाद अब हमें एक किसी प्रोग्रामिंग भाषा का ज्ञान होना अतिआवश्यक है जिस से हम एक शॉपिंग वेबसाइट बना सके अगर हमें किसी भाषा का ज्ञान नहीं है तो हम किसी डेवलपर से भी बनवा सकते है

4.इस के बाद हमें सब से लास्ट में जो आवश्यकता होती है सब को जोड़ने की डोमेन , होस्टिंग एंड प्रोगरामिंग को जोड़ने इस लिए हमें सब कुछ पहले से अपने से तैयार कर के मन में पूरा बो करने के बाद ही ये सब खरीदना चाहिए ये नहीं की पहले डोमेन और होस्टिंग लेले और फिर हमें प्रोगरामिंग के लिए प्रॉब्लम आये क्यूकी डोमेन होस्टिंग की कॉस्ट बहुत होती है तो हमें सब कुछ सोच समझ के खरीदना स्टार्ट करना चाहिए

एप्प

दूसरा ये तरीका है की हम एक एप्प बनायें उस पर जा कर भी हम अपने प्रोडक्ट को सेल कर सकते है एप्प हमें दो प्रकार की बनानी होती है
एंड्राइड एप्प – ये एप्प हमारे एंड्राइड बेस मोबाइल फ़ोन के लिए बनायें जाती है इस के लिए भी हमें एप्प बनाना आना जरुरी है अगर हमें एप्प बनानें में कोई प्रॉब्लम है तो हम किसी एप्प डेवलपर की हेल्प से बनवा सकते है

आई ओ एस – ये एप्प हमें इस लिए बनाने की जरूरत है क्युकी आज कल आई फ़ोन यूजर भी बहुत होते है इस लिए ये भी जरूरत होती है इस के लिए भी हम किसी आई ओ एस एप्प डेवलपर की सहयता ले सकते है

बसे हम अगर किसी वेब एप्लीकेशन कंपनी की सहायता ले कर एक ऐसा प्लेटफ्रॉम तैयार करा सकते है जिस में एक ही प्लेटफ्रॉम में तीनो मिल जाते है जिस में वेबसाइट और दोनों एप्प एक जगह मिल जाएगी.

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  • neeraj sharma
    Posted June 29, 2020 at 10:57 am 0Likes

    how to contact you

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खामोश बेटी की आवाज

बेटी बनकर आई है। मां बाप के आंगन में कल बसेरा होगा किसके आंगन में आखिर क्यूं? ये रीत भगवान ने बनाई है, कहते हैं आज नहीं तो कल तू पराई होगी। देके जन्म पल पोसकर जिसने हमें बड़ा किया।वक्त आने पर उन्ही हाथो ने हमें विदा किया। बिखर कर रह जाती है हमारी जिंदगी। फिर उस बंधन में हमें प्यार मिले ये जरुरी तो नहीं। क्यूं हमारा रिश्ता इतना अजीव होता है। क्या यही हम बेटियों का नसीब होता है।घर जहां बेटियों का जन्म होता है। दुनियां में आते ही मानो सबके चेहरे मुरझा से गए हों। उसी भेदभाव के साथ की लड़की है,एक दिन बड़े होकर किसी का घर संभालना है,और इसी सोच के साथ उसे शिक्षा से भी दूर रखा जाता है। किताबों के बदले उसे घर के कामों का बोझ सौप दिया जाता हैं। उसके सारे अरमान जो एक उज्जवल भविष्य बनाने के होते हैं।वही अरमान उसी आग में दफन हो जाते हैं। क्या बेटियों को इतना भी हक नहीं दिया गया।की वो अपने परिवार के लिए और उनके साथ आत्म निर्भर बने और बेटा बनकर अपने परिवार को सहयोग करे। जिस परिवार में बेटे नहीं होते उस परिवार में बेटी हो तो कोन सहारा बनेगा उसके मां बाप का। तब वही बेटी या बहू बनकर अपना परिवार संभालती है।चाहें वो मेहनत या मजदूरी करे या कुछ भी अपना फर्ज निभाती है। तो फिर क्यूं ना उसे पड़ा लिखा कर काबिल बनाए आज भी कुछ लोग हैं।जो बेटियों को बोझ समझते हैं।आज भी अधिकांश लोग बेटो को ही सारे हक देते हैं।चाहे वो अपनी जिम्मेदारी समझे या ना समझे या मां बाप के पैसों का गलत उपयोग करें।पर उनकी हर गलतियों को माफ किया जाता हैं। बेटी कभी अपने मां बाप को टूटता नहीं देख सकती वो अपनी सारी खुशियों को मिटा कर अपने परिवार का ध्यान रखती हैं।अपनी जिम्मेदारियों को समझती है,और निभाती भी है,वो दो परिवारों को समेट कर चलती है।अपनी तकलीफ कभी किसी को महसूस तक नहीं होने देती हैं। ऐसी होती हैं,