हर सफल व्यक्ति के पीछे उस की छुपी हुए मेहनत होती है

सफलता के लिए सब से पहले हमें अपने मन में एक अपना लक्ष्य बनाना बहुत जरुरी है लक्ष्य हमेसा ऐसा होना चाहिए जो हमारे रूचि के अनुसार हो क्युकि रूचि अनुसार लक्ष्य होगा तो हमें काम को करने में मन ज्यादा लगेगा और मेहनत करने के लिए हमारा मन लग जाता है.

 

हर व्यक्ति कि इच्छा होती है की में एक बहुत सफल इंसान बनूँ पर ये सोच रखने बले तो लगभग सभी लोग होते है पर इस सोच के लिए हमें जो मेहनत की ज़रूरत होती है बो बहुत कम लोग होते है कुछ तो ये सोचते है की में आज नही कल से मेहनत करूँगा और ये सोचते सोचते बो कई दिन निकाल देते है
मेरी सोच ये कहती है की अगर आप की नज़र मैं कोई बेकार से बेकार काम क्यू ना हो उस काम को आप समय और मेहनत से कर के देखो बही काम आप की सफलता बन जाएगा पर ये करने के लिए हमें उस काम के प्रति बहुत बहुत लगन के साथ काम करना होता है.

बहुत सी एसी कहनी है जो हमें देखने मैं लगती है की ये बहुत कम समय और बिना मेहनत के सफल हुए है पर जब उन की हक़ीक़त में जाओगे तो समझ आएगा की ये कहनी कितनी मेहनत से यहाँ तक पहुँची है.

अक्सर लोगों को अपने देखा होगा जब आप अपने काम को लेंकर मेहनत कर रहे होते है तब लोगों को नहीं दिखता की यें मेहनत कर रहा है तब तो और लोग आप का मज़ाक़ बनायेंगे की कैसे फ़ालतू मैं लगा है कुछ नहीं मिल रहा कब से कर रहा है पर अभी तक कुछ नही कर पाया है तो कुछ लोग ये आलोचनाये सुन कर ही अपना काम बीच में छोड़ देते है पर कुछ लोग उन आलोचनाओं से ऊपर उठ कर अपने काम के प्रति लगन से लगे रहते है और अपने काम को मुक़ाम तक पहचा देते हैं.

यह से बही आलोचनाए करने बले लोगों में एक नया मोड़ दिखाई देता है की देखो उस ने कितने जल्दी सफलता प्राप्त कर ली इसे कहते है दीमाक हमें तो पहले से ही पता था ये कुछ अलग करेगा और बही सब लोग आप की तारीफ़ के पुल बाधने लगेंगे.

इस लिए हमेसा याद रखना है हमें की जब व्यक्ति सफल होता है तो सब भुल जाते है इस ने क्या किया क्या नहीं किया आप की सफलता ही आप की पहचान बन जाती है.

आपने खुद मेहसुसु किया होगा कि जब हम किसी काम को करने की सोचते है तो हमरा जोस सातबे आसमान पर होता फिर  सोच सोच कर उसे करने के लिए तैयार होते है तो एक दो दिन हम बहुत जोस और लगन के साथ करते है पर जैसे ही हमें लगता है की इस काम में तो मेहनत ज्यादा है तो हमारा मनोबल गिराने लगता है पर मेने ऊपर यही लिखा है की जो लोग मेहनत करते रहते है बो सफलता प्राप्त करअपने मुकाम को हासिल करते है पर जो लोग हताश हो कर बीच में रुक जाते है बो अपने मुकाम से तो हाथ धोते ही है साथ में बो आर्थिक दण्ड भी सहना पड़ता है.

इस लिए मेरा मानना है कि किसी भी काम को करने से पहले अपने मन को इतना मजबूत कर ले कि यही फैसला लास्ट है करना है तो अब यही करना है नहीं तो नहीं करना कुछ आप खुद से सोचो की अगर आप इस मोड पर खड़े हो जहा से कोई रास्ता नही दिखाई दे रहा तो फिर उस में आप ये क्यू सोच रहे हो की इस काम को में नहीं कर पाउगा अरे जब रास्ता है नहीं कोई और तो फिर चलना तो इसी रास्ते पर है सोच जिस दिन आप कि बन जाएगी उसी दिन समझ जाना की अब आप के लिए सरे रास्ते खुलने बाले है .

मेरा खुद का एक अनुभब है कि अगर आप किसी काम को करने जा रहे है तो ये मन में बिठाल ले की ऐसा कोई काम नहीं है जिस में उतार चढ़ाव ना आये पर जब चढ़ाव आता है तो हम खुस हो जाते है और जरा सा नीचे आते ही हम बहुत दुःखी हो जाते है अगर आप ने इसी बैलेंस को बना लिया तो फिर आप को आगे बढ़ाने से कोई नहीं रोक सकता है.

 

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  • Posted May 15, 2020 at 6:41 am 0Likes

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खामोश बेटी की आवाज

बेटी बनकर आई है। मां बाप के आंगन में कल बसेरा होगा किसके आंगन में आखिर क्यूं? ये रीत भगवान ने बनाई है, कहते हैं आज नहीं तो कल तू पराई होगी। देके जन्म पल पोसकर जिसने हमें बड़ा किया।वक्त आने पर उन्ही हाथो ने हमें विदा किया। बिखर कर रह जाती है हमारी जिंदगी। फिर उस बंधन में हमें प्यार मिले ये जरुरी तो नहीं। क्यूं हमारा रिश्ता इतना अजीव होता है। क्या यही हम बेटियों का नसीब होता है।घर जहां बेटियों का जन्म होता है। दुनियां में आते ही मानो सबके चेहरे मुरझा से गए हों। उसी भेदभाव के साथ की लड़की है,एक दिन बड़े होकर किसी का घर संभालना है,और इसी सोच के साथ उसे शिक्षा से भी दूर रखा जाता है। किताबों के बदले उसे घर के कामों का बोझ सौप दिया जाता हैं। उसके सारे अरमान जो एक उज्जवल भविष्य बनाने के होते हैं।वही अरमान उसी आग में दफन हो जाते हैं। क्या बेटियों को इतना भी हक नहीं दिया गया।की वो अपने परिवार के लिए और उनके साथ आत्म निर्भर बने और बेटा बनकर अपने परिवार को सहयोग करे। जिस परिवार में बेटे नहीं होते उस परिवार में बेटी हो तो कोन सहारा बनेगा उसके मां बाप का। तब वही बेटी या बहू बनकर अपना परिवार संभालती है।चाहें वो मेहनत या मजदूरी करे या कुछ भी अपना फर्ज निभाती है। तो फिर क्यूं ना उसे पड़ा लिखा कर काबिल बनाए आज भी कुछ लोग हैं।जो बेटियों को बोझ समझते हैं।आज भी अधिकांश लोग बेटो को ही सारे हक देते हैं।चाहे वो अपनी जिम्मेदारी समझे या ना समझे या मां बाप के पैसों का गलत उपयोग करें।पर उनकी हर गलतियों को माफ किया जाता हैं। बेटी कभी अपने मां बाप को टूटता नहीं देख सकती वो अपनी सारी खुशियों को मिटा कर अपने परिवार का ध्यान रखती हैं।अपनी जिम्मेदारियों को समझती है,और निभाती भी है,वो दो परिवारों को समेट कर चलती है।अपनी तकलीफ कभी किसी को महसूस तक नहीं होने देती हैं। ऐसी होती हैं,