जिस क्लास मैं और वो साथ में बैठते थे, बस 10 बारह फीट से भी कम की दूरी पर, दो साल तक हम दोनों रोज कॉलेज आये, बैठे, पर कभी बात नहीं की! वो सुंदर बहुत थी! मुझे पहली ही नजर में पसंद आ गई थीं! उसकी वो मोटी मोटी आंखें हाय..!
मैं पढ़ता लिखता था, कोई गलत हरकत नहीं! एक शरीफ लड़के को प्यार हो जाए तो वो क्या करे..,
ना कभी पीछा किया, मैं हिम्मती बहुत था, पर पता नहीं नंबर मांगने की तो हिम्मत ही नहीं थी जैसे.
उसके पास जाते ही मानो जैसे दिल अभी बाहर आ जाएगा ऐसा लगता था..
कहने को तो मैंने पर्सनेलिटी डेवलपमेंट की क्लास दी है, पर फिर भी उसके सामने मौन….
लेकिन एक लड़की से प्यार हुआ, मैं मरा जा रहा था, उसी कमरे बैठ कर उस लड़की से एक शब्द बात करने के लिए! लेकिन नहीं किया कभी नहीं किया! बहुत दुख होता था, किसी और को उससे बात करते देखकर, ये एक छोटा सा शहर था, लड़के लड़कियों का बात करना सामान्य नजरों से नहीं देखा जाता था! खैर, मैनें अपने संस्कार बचा के रखें और उस लड़की की अस्मिता भी! मैं रात को आसमान में चांद देखता हूं, और उस से बात कर लेता हूँ…..
क्योंकि मैं छोटे शहर का लड़का हूं, चाहें पहले मैं उससे बात करूं, पर यहां लड़की को ही गलत बता दिया जाता है.!
जरूरी नहीं प्यार दोनों ओर हो, एक तरफा मुहब्बत की बात ही अलग होती है..!